Ambassador (एम्बेसडर कार) Story in Hindi ?
Ambassador Car Success Story in Hindi :- आज हम आपको एक ऐसी कार कंपनी के बारे में बताएँगे जिसने भारत में करीब 20 सालों तक राज किया था और इस कार को रखना एक समय लोगों के लिए इज्जत की बात हुआ करती थी। जिस कार कंपनी कि मैं बात कर रहा हूं, उसका नाम है हिंदुस्तान एम्बेसडर, जिस के शानदार लुक और परफॉर्मेंस की वजह से किंग ऑफ इंडियन रोड भी कहा जाता था और दोस्तों यह कार लोगों के लिए एक एहसास हुआ करती थी। भारत के ना जाने कितने लोगों को उनकी मंजिलों तक पहुंचाने में इस कार ने उनका साथ निभाया। एम्बेसडर एक ऐसी कार थी जो कि न केवल बड़े-बड़े नेताओं, बिजनेसमैन और ऑफिसर की पसंद हुआ करती थी बल्कि आम लोग इस कार के उतने ही दीवाने थे। और इसका मुख्य कारण क्या था। इस प्राइस को एक मिडिल क्लास फैमिली भी ले सकती थी |
(Alec Issigonis) ने इस एम्बेसडर कार की डिजाइन बनाई थी | Ambassador Car Design By Alec Issigonis
तो चलिए दोस्तों क्यों ना हम इस कार की स्टोरी को शुरू से डिटेल में जानते हैं तो दोस्तों इस कहानी की शुरुआत होती है। आज से करीब 62 साल पहले से जब 1956 में हिंदुस्तान मोटर्स ब्रिटिश मोटर कारपोरेशन से उनके दो कार्स मॉरिस। स्पोर्ट्स वन और सीरीज टू के कार बनाने का लाइसेंस ले लिया और फिर अपनी कार हिंदुस्तान टेंट और लैंडमास्टर बनाई और फिर बोरिस ऑक्सफोर्ड 1958 में एम्बेसडर को बनाया गया जिसका डिजाइन उस समय के हिसाब से बहुत ही जबरदस्त था और इसमें मौजूद जगह भी काफी थी और इस कार को जिन्होंने डिजाइन किया था। उनका नाम था (Alec Issigonis) है |
कार पूरी तरह से मेड इन इंडिया हुआ करती थी और हिंदुस्तान मोटर्स बिरला ग्रुप का एक हिस्सा है जिसके स्थापना 1942 में बी एम बिरला ने की थी और एम्बेसडर कार के उस टाइम तक जो कॉम्पिटिटर थे, उनका का नाम था प्रीमियम पद्मिनी और स्टैंडर्ड 10, लेकिन इन कारों की तुलना में एम्बेसडर का डिजाइन और इसके अंदर का स्पेस इसके लिए एक + प्वाइंट हुआ करता था जो इसको ना केवल दूसरी कंपनियों के कारो से बेहतर बनाता था बल्कि यही वजह थी कि यह कार लोगों को काफी पसंद आती थी ।
80 के दशक तक यह कार पूरे भारत में राज करती रही | Ambassador Car Success Story in Hindi
और अपने शुरुआती दिनों से करीब 80 के दशक तक यह कार पूरे भारत में राज करती रही , लेकिन अभी तक जितनी ऊंचाइयों को इस कार ने देखे थे, अब समाप्त होने वाला था क्योंकि मारुति सुजुकी ने अपनी कम कीमत वाली गाड़ी मारुति 800 लॉन्च कर दी थी जो कि 1983 में करीब ₹53000 का मिलता था और इसके बाद से ही अंबेडकर ने भारतीय कारों की दुनिया में दबदबा खोना शुरू कर दिया। और इसी तरह से आगे चलकर 90 का दशक एंबेसडर कार के लिए और भी बुरा साबित हुआ क्योंकि देश विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत में आनी शुरू हो गई। हालांकि एम्बेसडर कार को 1992 में फुल बोर्ड मार्क 10 के नाम से यूके में बेचने की कोशिश की गई और कार में कुछ बदलाव जैसे सीट बेल्ट और हीटर लगाए गए जिससे कि वह यूरोपियन सेफ्टी स्टैंडर्ड पर काम कर पाया लेकिंग इसे ज्यादा पसंद नहीं किया गया और इसी वजह से कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा
फरवरी 2017 को एंबेसडर को एक फ्रांसीसी कंपनी प्यूजो एसए ने खरीद लिया |
और आखिरकार 2014 में फाइनेंसियल परेशानियों के चलते हैं। इन कार का प्रोडक्शन बंद करना पड़ा और फिर आगे 1 फरवरी 2017 को एंबेसडर को एक फ्रांसीसी कंपनी प्यूजो एसए 80 करोड़ की रकम के साथ खरीद लिया और बस एक समय तक सबका पसंदीदा होने वाले एम्बेसडर का सफर समाप्त हो गया। लेकिन एक भारती कंपनी को बचाने में नाकाम रहे और फिर 2013 में एम्बेसडर का आखिरी मॉडल लांच किया गया, जिसका नाम था एंबेस्डर एंड कौर यह कार bs4 मानकों पर आधारित थी,
लेकिन इतने प्रयासों के बाद भी हिंदुस्तान मोटर्स की अंबेडकर वापसी नहीं कर सकी और शायद इस कार के वापसी न कर पाने की यह भी वजह थी। किसने अपने ट्रेडिशनल डिजाइन को कभी भी नहीं छोड़ा और दूसरी कार कंपनी लोगों के दिमाग को पढ़ते हुए समय के साथ साथ आगे बढ़ती रहें और अपने डिजाइन में बदलाव करते हुए लोगों के मन को भाती रहे। कुछ भी एम्बेसडर की जगह हमारे दिलों में हमेशा रहेगी।